Swapping in Hindi | Swapping क्या है?

Hello दोस्तों क्या आप जानते हैं कि ऑपरेटिंग सिस्टम में स्वैपिंग क्या होता है? What is Swapping in Hindi. यदि आपको Swapping के बारे में कोई जानकारी नहीं है की स्वैपिंग क्या है और यह क्यों होता है तो इस आर्टिकल को आप अंत तक जरूर पढ़ें क्योंकि इस आर्टिकल में हम आपको स्वैपिंग से संबंधित संपूर्ण जानकारी देने वाले हैं।

Swapping in Hindi – Swapping क्या है?

दोस्तों Swapping एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसमें मेन मेमोरी से प्रोसेस को Remove करके उसको सेकेंडरी मेमोरी में Store करके रखा जाता है।

Swapping एक मेमोरी मैनेजमेंट टेक्नोलॉजी है जिसका प्रयोग मेन मेमोरी के Utilization को बेहतर बनाने के लिए किया जाता है।

सेकेंडरी मेमोरी में जिस स्थान पर Swap out प्रक्रिया स्टोर रहती है उस स्थान को Swap Space एरिया कहते हैं। Unitasking OS में सिर्फ एक प्रोसेस होती है जो Memory के User Program Aria को occopy करता है और जब तक प्रोसेस कंप्लीट नही हो जाता है तब तक मेमोरी में रहता है।

Swapping in Hindi
Swapping in Hindi

ऐसी स्थिति आमतौर पर मल्टी टास्किंग ऑपरेटिंग सिस्टम में उत्पन्न होती है प्रोसेस के दौरान जब सभी प्रोसेस main मेमोरी में समायोजित नही हो पाती हैं तो एक प्रोसेस को मैन मेमोरी से Swap out कर दिया जाता है ताकि अन्य process उसमे आ जाये।

स्वैपिंग का उद्देश्य Hard disk में स्टोर data को एक्सेस करना तथा उस data को RAM में लाने के लिए करते हैं ताकि Application Program में इसका उपयोग किया जा सके।

स्वैपिंग कैसे काम करता है?

ऑपरेटिंग सिस्टम के पास एक स्वैप फ़ाइल होती है जो सेकेंडरी स्टोरेज मेमोरी में रखी जाती है। जब कोई प्रोसेस प्राइमरी मेमोरी में नहीं रखा जा सकता है, तो ऑपरेटिंग सिस्टम उस प्रोसेस को स्वैप फ़ाइल में स्थान देता है। स्वैप फ़ाइल में डेटा का ट्रांसफर किया जाता है और प्राइमरी मेमरी में नया डेटा स्वैप किया जाता है। इस प्रक्रिया से सिस्टम का प्रदर्शन बेहतर हो जाता है क्योंकि Primary Memory, Swap होने वाले Process के लिए खाली हो जाती है।

स्वैपिंग क्यों जरूरी है?

जब एक कंप्यूटर Process चल रहा होता है, तो वह Memory में जगह ले लेता है। अगर प्रोसेस बहुत बड़ा है या वीडियो संबंधित काम कर रहा है जिसमें बड़ी मात्रा में memory की आवश्यकता होती है, तो ऐसे में Primary Memory में जगह की कमी हो सकती है। इस समस्या का समाधान स्वैपिंग होता है, जिसमें ऑपरेटिंग सिस्टम प्राइमरी मेमोरी में नहीं रख सकने वाले Process को सेकेंडरी स्टोरेज मेमोरी में Swap कर देता है।

Swapping के लाभ

  • Swapping Technology वर्चुअल Memory बनाने और उसको Use करने में मददगार साबित होती है।
  • Swapping टेक्नोलॉजी, सीपीयू को मैन मेमोरी के अंदर ही कई प्रक्रियाओ को मैनेज करने में मदद करती है।
  • इस Swapping टेक्नोलॉजी की help से सीपीयू एक समय में ही कई सारे कार्य कर सकता है।

FAQs

1. स्वैपिंग और कैशिंग में क्या अंतर है?

स्वैपिंग और कैशिंग दोनों ऑपरेटिंग सिस्टम के मेमरी प्रबंधन के तरीके हैं, लेकिन उनमें अंतर होता है। कैशिंग में, प्राथमिक मेमरी में हाल का और अधिक उपयोग होने वाला डेटा रखा जाता है, जबकि स्वैपिंग में प्रोसेसेस को सेकेंडरी स्टोरेज मेमरी में स्थान दिया जाता है।

2. क्या स्वैपिंग प्रोसेस को धीमा कर सकता है?

हाँ, जब प्रोसेस स्वैप होता है, तो उसका प्रदर्शन थोड़ा सा धीमा हो सकता है क्योंकि स्वैपिंग के लिए सेकेंडरी स्टोरेज तक का समय लगता है।

3. क्या हर कंप्यूटर में स्वैपिंग होता है?

नहीं, स्वैपिंग की उपलब्धता कंप्यूटर की किसी विशेषित सेटिंग पर निर्भर करती है। कुछ कंप्यूटर्स में कम मेमरी होने की वजह से स्वैपिंग की आवश्यकता होती है, जबकि कुछ में यह अद्यतन और बेहतर प्रदर्शन के लिए किया जाता है।

4. क्या स्वैपिंग सिस्टम को हांडव्राइट करना चाहिए?

नहीं, स्वैपिंग ऑपरेटिंग सिस्टम के एक महत्वपूर्ण हिस्से के रूप में समझा जाता है और इसे हांडव्राइट करने की आवश्यकता नहीं है।

निष्कर्ष

इस आर्टिकल में हमने आपको What is Swapping in OS in Hindi के बारे में जानकारी दी है, Swapping क्या होता है? Swapping कैसे कार्य करता है? यदि आपको Swapping के बारे में जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें और इसी प्रकार की महत्वपूर्ण जानकारी के लिए हमें Google News पर जरूर फॉलो करें।

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मैं एक हिंदी ब्लॉगर हूँ, मेरा नाम हरपाल प्रजापति है और यहाँ पर हम इंटरनेट, कंप्यूटर, टेक्नोलॉजी और गेमिंग से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी और अपडेट्स आप के साथ साझा करते हैं।

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