InterProcess Communication in Hindi | इंटरप्रोसेस कम्युनिकेशन क्या है?

दोस्तों क्या आप जानते है इंटर प्रोसेस कम्युनिकेशन क्या है? और इसका क्या उपयोग होता है? यदि आपको नहीं पता तो आज के इस आर्टिकल में हम आपको  इंटर प्रोसेस कम्युनिकेशन के बारे में बताने जा रहे हैं। यदि आप Interprocess Communication In Hindi के बारे में इंटरनेट पर जानकारी सर्च कर रहे है तो आपको इस आर्टिकल को पढ़ने के बाद इंटरप्रोसेस कम्युनिकेशन के बारे में कही और सर्च करने की आवश्यकता नही होगी और इस आर्टिकल में आपको आपको इसके बारे पूरी जानकारी हिंदी भाषा में मिल जाएगी।

कम्यूनिकेशन क्या है 1

IPC Full Form in Hindi

दोस्तों यदि हम बात करे IPC के फुल फार्म की तो IPC का FULL Form होता है Inter Process Communication, Inter Process Communication का अर्थ होता है कंप्यूटर या सिस्टम के अंदर होने वाले कमांड और Communications. यह सिस्टम को आंतरिक क्रियाओ के लिए अनुमति प्रदान करता है।

What is InterProcess Communication in Hindi?

InterProcess Communication कंप्यूटर में उपस्थित एक ऐसा (तन्त्र) Mechanism है जो कंप्यूटर में दिये जा रहे कमांड को एक दूसरे के साथ प्रोसेस करने के लिए अनुमति प्रदान करता है। यह सिस्टम के द्वारा लिए जा रहे Action को Synchronize ( समक्रमिक कर देता है )।

जिसकी मदद से कई प्रकार के कमांड और प्रोसेस एक दूसरे के साथ आपस मे communicate कर पाते हैं। इस प्रकार कम्युनिकेशन को एक पूरी प्रोसेस के अंदर सामिल करके पता लगाया जाता है कि चल रहे Event की कितनी प्रोसेस हो चुकी है।

साधारण भाषा में कहें तो इंटर प्रोसेस कम्युनिकेशन एक ऐसा इंटर प्रोसेस सिस्टम है जो किसी भी प्रोग्राम को ऑपरेटिंग सिस्टम पर Run हो रहे किसी भी प्रकार की प्रोसेस के बीच कोऑर्डिनेट कर सकता है जिसकी मदद से किसी प्रोग्राम में एक समय में कई सारी यूजर रिक्वेस्ट को हैंडल किया जा सकता है।

सामान्यतः इस तरह की कम्युनिकेशन की आवश्यकता उन एप्लीकेशंस में होती है जिनको क्लाइंट और सर्वर की कैटेगरी में विभाजित किया जा सकता है। जो इस सिस्टम में डाटा प्राप्त करने के लिए रिक्वेस्ट करते हैं उनको लाइट कहा जाता है तथा जो इस रिक्वेस्ट पर रिस्पॉन्ड करते हैं तथा डेटा की जानकारी देते हैं वह सर्वर होते हैं। 

यह Nanokernels और Microkernels की डिजाइन प्रोसेस में प्रयोग किए जाते हैं तथा यह Kernel के द्वारा दी जाने वाली functionalities को Reduce करने का कार्य करता है। जिसके बाद functionalities को इंटरप्रोसेस कम्यूनिकेशन की मदद से सर्वर के साथ कनेक्ट करके Obtain कर लेते हैं जिस कारण से फास्ट कम्युनिकेशन संभव हो पाती है।

Types of Interprocess Communication in Hindi

यदि हम InterProcess Communication के प्रकार की बात करें तो इसको दो प्रकार से विभाजित किया जा सकता है-

  • Independent Process
  • Co–operating Process

Independent Process

Independent Process वह प्रोसेस होते हैं जिनके साथ दूसरे प्रोसेस के एक्जिक्यूट होने पर भी इनपर किसी भी तरह का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है यह पूरी तरह से स्वतंत्र होते हैं।

Co–Operating Process

Co–Operating Process किसी अन्य प्रोसेस के एक्जिक्यूट होने पर प्रभावित हो सकती है इसका प्रयोग कई बार Communication की गति को बड़ाने के लिए किया जाता है।

जब Inter Process Communication का प्रयोग करते समय दो प्रोसेस को एक साथ किया जाता है तो उसमे निम्नलिखित दो तरीकों का उपयोग किया जाता है।

  • Shared Memory
  • Message Passing

1. Shared Memory

Shared Memory के मैथर्ड द्वारा कम्युनिकेशन के लिए दो वेरिएवल की आवश्यकता होती है तथा यह इस बात पर निर्भर होता है कि इसे प्रोग्राम में किस प्रकार से इम्प्लीमेंट किया जा रहा है। यदि प्रोसेस 1 तथा प्रोसेस 2 को एक साथ एक्जीक्यूट किया जा रहा है तो प्रोसेस 1 कुछ कम्युनिकेशन तथा संसाधनों के बारे में जानकारी इकट्ठा करेगा तथा उसे शेयर्ड मेमोरी में एक रिकॉर्ड की तरह रखेगा। जिसके बाद यदि प्रोसेस 2 को शेयर्ड सूचनाओं की आवश्यकता होती है तो वह शेयर्ड मेमोरी में डेटा को चेक करेगा तथा प्रोसेस 1 द्वारा एकत्रित किये गए डेटा के हिसाब से कार्य करेगा। 

Message

2. Message Passing

यदि हम Message Passing द्वारा होने वाली Communication की बात करें तो इस मेथड में एक दूसरे के साथ किसी भी तरह की शेयर मेमोरी का प्रयोग न करके Inter Process कम्युनिकेशन को पूरा किया जाता है।

Methods for InterProcess Communication In Hindi

यदि हम बात करें Inter Process Communication के तरीकों की तो इसको चार प्रकार से बांटा गया है तथा यह सभी प्रकार आप निम्नलिखित देख सकते हैं।

  • कम्युनिकेशन लिंक द्वारा मैसेज पासिंग
  • मैसेज के exchanging द्वारा मैसेज पासिंग
  • डायरेक्ट मैसेज पासिंग
  • इनडायरेक्ट मैसेज पासिंग

1. कम्युनिकेशन लिंक द्वारा मैसेज पासिंग

अब हम कम्युनिकेशन लिंक के द्वारा मैसेज पासिंग की चर्चा करने जा रहे हैं इसमें सबसे पहले एक कम्युनिकेशन लिंक को बनाना होता है यदि कम्युनिकेशन लिंक पहले से ही बनाया जा चुका है तो इसको दोबारा बनाने की कोई आवश्यकता नहीं है, प्रत्येक कम्युनिकेशन लिंक की एक कैपेसिटी होती है जिसके अंतर्गत यह पता किया जा सकता है कि इसमें कितने मैसेज सेंड किए जा सकते हैं।

लिंक का इंप्लीमेंटेशन उस स्थिति पर निर्भर करता है की यह डायरेक्ट कम्युनिकेशन लिंक हो सकता है अथवा इनडायरेक्ट कम्युनिकेशन लिंक के द्वारा कम्युनिकेशन हो सकता है। इसमें डेस्टिनेशन से मैसेज को सेंड किया जाता है जिसके बाद Sanding प्रोसेस स्टार्ट हो जाती है।

जिसके बाद मैसेज passing module के तहत मैसेज को प्रोसेस किया जाता है जिसके बाद यह रिसीवर तक सफलता पूर्वक पहुंच जाता है। यदि मैसेज का साइज कम होता है तो ऑपरेटिंग सिस्टम के लिए मैसेज को सेंड करना आसान हो जाता है।

2. मैसेज के exchanging द्वारा मैसेज पासिंग

इसमें मैसेज पासिंग दो प्रकार से सिंक्रोनस तथा असिंक्रोनस मैसेज पासिंग के द्वारा होती है। इसमें यदि किसी मैसेज को भेजना अथवा रिसीव करना होता है, जो मैसेज अभी पास हो रहा हो तो भी ब्लॉकिंग अथवा नॉन ब्लॉकिंग प्रोसेस दोनो में आ सकता है। ब्लॉकिंग को सिंक्रोनस मैसेज माना जाता है। सेंड किये गए मैसेज तब तक ब्लॉक रखता है जब तक कि वह रिसीवर उसे सफलतापूर्वक प्राप्त ना कर ले।

Non-blocking मैसेज को असिंक्रोनस माना जाता है। Sander के लिए Message Passing के बाद non-blocking होना बहुत ज्यादा आसान हो चुका है क्योंकि मैसेज को कई प्रकार से प्रोसेस करने के बाद भेजने की आवश्यकता पड़ सकती है। मैसेज पासिंग को कई अन्य प्रकार से भी एग्जीक्यूट किया जा सकता है। जिनका प्रयोग मैसेज को सेंड करने के लिए अधिकतर किया जाता है।

3. डायरेक्ट मैसेज पासिंग

डायरेक्ट मैसेज पासिंग में कम्युनिकेट करने के लिए सेंडर तथा प्राप्त कर्ता का नाम बताने की आवश्यकता होती है। इस प्रक्रिया में कम्युनिकेशन स्वतः ही स्थापित हो जाता है जो कि बाई – डायरेक्शनल तथा यूनी-डायरेक्शनल दोनो ही प्रकार से हो सकता है। एक सेंडर तथा एक रिसीवर के बीच एक सेंडिंग लिंक का प्रयोग किया जाता हैं। जिसमे रिसीवर के पास एक से अधिक Link नहीं होने चाहिए। इस प्रकार की मैसेज पासिंग को डायरेक्ट मैसेज पासिंग कहते हैं।

4. इनडायरेक्ट मैसेज पासिंग

इस प्रकार की मैसेज पासिंग डाटा प्रोसेस मैसेज को सेंड तथा रिसीव करने के लिए मेल बॉक्स का प्रयोग किया जाता है। प्रत्येक मेलबॉक्स की एक यूनिक आईडी होती है तथा सेंटर, रिसीवर को तभी मैसेज पास कर सकता है जब मेल बॉक्स को रिसीवर के द्वारा साझा किया गया हो।

जब प्रोसेस किसी कॉमन मेल बॉक्स को शेयर की जाती है तब एक लिंक स्थापित होता है तथा कई सारी प्रोसेस को शेयर करने के लिए सिर्फ एक लिंक को स्थापित करके जोड़ा जा सकता है। इसमें Sander नॉन ब्लॉकिंग होता है तथा message को sand कर सकता है। इस प्रकार के मैसेज वासियों को इनडायरेक्ट मैसेज पासिंग कहते हैं।

निष्कर्ष

आज के इस आर्टिकल मैंने आपको बताया कि इंटरप्रोसेस कम्यूनिकेशन क्या होता है? आशा करता हूं आपको Inter Process Communication In Hindi के बारे में सम्पूर्ण जानकारी मिल गई होगी। पूरा आर्टिकल पढ़ने के बाद भी यदि आपको इस टॉपिक से संबंधित कोई भी डाउट या सवाल है तो आप हमसे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते हैं हम आपके सवाल का रिप्लाई जरूर करेंगे।

यदि आपको इस आर्टिकल में बताई गई जानकारी पसंद आई हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें। इसी तरह की महत्वपूर्ण जानकारी और अपडेट्स के लिए नोटिफिकेशन वेल को जरूर सब्सक्राइब करें, आर्टिकल को अंदर तक पढ़ने के लिए आपका धन्यवाद।

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FAQ

इंटरप्रोसेस कम्यूनिकेशन के प्रकार कौन से हैं?

1. कम्युनिकेशन लिंक द्वारा मैसेज पासिंग
2. मैसेज के exchanging द्वारा मैसेज पासिंग
3. डायरेक्ट मैसेज पासिंग
4. इनडायरेक्ट मैसेज पासिंग

इंटरप्रोसेस कम्यूनिकेशन के महत्वपूर्ण अंग कौन से हैं?

Pipe, Socket, Signal, File, Shared Memory, Message Queue, FIFO इंटर प्रोसेस कम्यूनिकेशन के महत्वपूर्ण के महत्वपूर्ण अंग  हैं।

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