Thrashing in operating system in Hindi | ऑपरेटिंग सिस्टम में थ्रेसिंग क्या है?

Thrashing in operating system in Hindi : इस आर्टिकल में हम पढ़ने वाले हैं ऑपरेटिंग सिस्टम में  थ्रेसिंग क्या होता है? और ऑपरेटिंग सिस्टम में थ्रेसिंग क्यों होता है? इसके अलावा यहां पर हम थ्रेसिंग को हैंडल करने के उपाय के बारे में भी जानेंगे। तो बिना किसी देरी के समझते हैं कि ऑपरेटिंग सिस्टम में थ्रेसिंग क्या है?

Thrashing in operating system in Hindi | ऑपरेटिंग सिस्टम में थ्रेसिंग क्या है?

थ्रेसिंग एक ऐसी स्थिति या अवस्था होती है जिस अवस्था में कंप्यूटर सिस्टम अपने प्रोसेसिंग समय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा Swapping और Paging के कार्य में लगा देता है जिस कारण से कंप्यूटर अपने कुछ जरूरी कार्यों को धीरे से कर पाता है या देरी से कर पाता है।

सिस्टम में थ्रेसिंग क्या है

यदि हम थ्रेसिंग को साधारण भाषा में समझे तो थ्रेसिंग एक ऐसी कंप्यूटर प्रोसेस होती है जो कंप्यूटर के कार्य को धीमा कर देती है अथवा कोई प्रोग्रेस नही करने देती है। आमतौर पर कंप्यूटर में थ्रेसिंग उस समय होती है जब कंप्यूटर की मेमोरी और दूसरे रिशोर्स समाप्त हो जाते हैं। इन Resources की लिमिट समाप्त होने के कारण कंप्यूटर ठीक तरह से अपने जरूरी कार्यों को नही कर पाता है।

Computer में threshing की समस्या आने के कारण कंप्यूटर की परफॉर्मेंस भी बहुत कम हो जाती है, यह स्थिति कंप्यूटर में तब तक रहती है जब तक कि यूजर के द्वारा कंप्यूटर में चल रहे प्रोग्राम को बंद नहीं कर दिया जाता है।

Causes of Thrashing – थ्रेशिंग का कारण

ऑपरेटिंग सिस्टम सीपीयू में होने वाली प्रोसेसिंग को नियंत्रित करता है तथा जब शुरुआत में सीपीयू का यूटिलाइजेशन काफी कम होता है तब सिस्टम में एक नई प्रोसेस को शामिल कर दिया जाता है नई प्रोसेस को शामिल करके मल्टीप्रोग्रामिंग डिग्री बढ़ा देते हैं।

ऐसी स्थिति में मेमोरी में उपस्थित frames की अपेक्षा प्रोसेस की संख्या अधिक होती है जिसके कारण यदि कोई high priority की प्रोसेस मेमोरी में जाती है तो उसे प्रोसेस के लिए बहुत ही कम frames मिलते हैं जिस कारण से उसे frames के लिए इंतजार करना पड़ता है तथा प्रोसेस पूरा होने में अधिक समय लगता है जिस कारण से CPU की परफॉर्मेंस भी कम हो जाती है।

Thrashing को handle करने के तरीके

Thrashing के प्रभाव को कम करने के लिए  local replacement Algorithm का प्रयोग किया जा सकता है।

Thrashing को रोकने अथवा कम करने के लिए हमे Prosess को अधिक मात्रा मे fremes उपलब्ध कराने होंगे।

Thrashing को रोकने के लिए Working Set Model ka प्रयोग किया जा सकता है यह मॉडल लोकलिटी पर आधारित होता है। Locality का मतलब ऐसे pages से होता है जो हाल ही में उपयोग में लिए गए हों तथा उन्हें दोबारा से प्रयोग में लाया जा सकता है।

निष्कर्ष

यहां पर हमने Thrashing in operating system in Hindi के बारे में पढ़ा, थ्रेसिंग क्या है? और यह क्यों होता है? इसके बारे में आपको यहां पर जानकारी दी गई है यदि आपको यह जानकारी पसंद आई हो तो उसे अपने दोस्तों के साथ जरूर शेयर करें।

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FAQs

थ्रैशिंग क्या है और इसके कारण क्या हैं?

थ्रेसिंग एक ऐसी स्थिति या अवस्था होती है जिस अवस्था में कंप्यूटर सिस्टम अपने प्रोसेसिंग समय का एक महत्वपूर्ण हिस्सा Swapping और Paging के कार्य में लगा देता है जिस कारण से कंप्यूटर अपने कुछ जरूरी कार्यों को धीरे से कर पाता है या देरी से कर पाता है।
मल्टीप्रोग्रामिंग की डिग्री और  CPU का यूटीलाइजेशन थ्रेसिंग के कारण है।

ओएस में थ्रैशिंग का पता कैसे लगाएं?

सीपीयू उपयोग के स्तर की तुलना मल्टीप्रोग्रामिंग के स्तर से करके थ्रैशिंग के बारे में पता लगाया जा सकता है।

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मैं एक हिंदी ब्लॉगर हूँ, मेरा नाम हरपाल प्रजापति है और यहाँ पर हम इंटरनेट, कंप्यूटर, टेक्नोलॉजी और गेमिंग से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी और अपडेट्स आप के साथ साझा करते हैं।

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